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आध्यात्मिक जीवन शैली

अध्यात्म का अर्थ - अपने ऊपर नियंत्रण करना - यदि हमारे शरीर के अंग काम नहीं करते तो उन पर क्रोध नहीं आता परन्तु पत्नी पुत्र सेवक अनुकूल न चलें तो क्रोध करते हैं ऐसा क्यों ? खुद पर नियंत्रण करें|

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सत्संग अभ्यास

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमार्थ में स्वार्थ बुद्धि नहीं ।

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ध्यान

ध्यान करने की नहीं ध्यान रखने की आवश्यकता है । ऐसा जीवन जियें जगत में सब पूजा वन जाए ।

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श्री देव दरबार आश्रम के उत्थानकर्ता

संस्थापक एवं प्रथम गुरु

श्री दीनदयाल जी (सेवक जी महाराज)

सह संस्थापक

श्री धन्ना सिंह जी (महारत्न जी)

पूजनीय श्री विषयकरण विज्ञानकानंद

(मालिक जी महाराज)

आश्रम मान्यता अनुसार (कलियुग विष्णु अवतार)

श्री इंद्रजीत जी

(पूर्व अध्यक्ष)

श्री देव नारायण (बड़े भैया)

वर्तमान संस्था अध्यक्ष

श्री देवदरबार आश्रम के मार्गदर्शक

पूजनीय स्वामी ज्ञानानंद (तीर्थ)

शंकराचार्य

भानपुरा पीठ , मध्य प्रदेश

आश्रम से सम्बंधित शिक्षण संस्थाएं

श्री देव दरबार आश्रम

धन्ना सिंह इंटर कॉलेज

कृष्णधाम करीमपुर, कन्नौज

श्री देव दरबार आश्रम

जूनियर हाई स्कूल सहायता प्राप्त

कृष्णधाम करीमपुर, कन्नौज

श्री देव दरबार आश्रम

विध्या मंदिर (1st से 5th class)

कृष्णधाम करीमपुर, कन्नौज


श्री देव दरबार आश्रम

इंटर कॉलेज

साण्डी, हरदोई

पंचांग

संस्था अध्यक्ष

सेवादार

हमारे उद्देश्य

श्री देव दरबार आश्रम , कृष्णधाम कन्नौज

आध्यात्मिक शिच्छा

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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समुचित भोजन व्यवस्था

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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सत्संग अभ्यास

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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आध्यात्मिक जीवन शैली

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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आयुर्वेदिक चिकित्सा

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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गौ सेवा

सबसे उत्तम आचरण -कोमल मन , सामर्थ अनुसार पात्र को दान देना , चित्त व इंद्रियों पर नियंत्रण , परमात्मा में स्वार्थ बुद्धि नहीं

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हमारी संस्था पिछले १०० बर्षों से जयादा समय से आध्यात्मिक शिच्छा एवं दीन दुखियों की सेवा में दिन रात तत्तपर है श्री देवदरबार आश्रम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुख शांति एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो यही हमारी पूज्य श्री मालिक जी से प्रार्थना है |

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